Sunday, 20 May 2007

बारिश के बहाने ये भी...


पानी का मसला सीधे तौर पर जीवन से जुड़ा है … इस से पहले कि पानी हमारा साथ छोड़ इसे एक मुद्दे के रूप में हर जगह स्थापित करना होगा…. भूजल दोहन के कारण २०२० तक ...जल संकट. जिस तरह पैर जमाने वाला हैं उसके लिए हल खोजने का समय कम ही रह गया हैं । जिस जल संकट कि हम बात कर रहे हैं वेह पूर्णतः मानव निर्मित हैं .......भूजल बरसों में इक्कठा होता हैं लेकिन हम उसकी बेख़ौफ़ बर्बादी पर उतारू हैं …. सरकार के पास इसका हल है ... पानी का निजीकरण !! जिस देश में लोगों के पास खाने का साधन नहीं वे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से पानी खरीद कर पी पायेंगे यह सोचना बिल्ली कि भाँती आंख बंद कर निश्चिंत हो जाने जैसा हैं ….इसके चलते ये भी समझना चाहिए कि बडे से बडे बैंक परियोजनाओं के लिए पैसे दे सकता हैं लेकिन प्रबंधन से जुडे तरीके और फैसले जब तक हमारे अपने नहीं होंगे शायद ही कोई हल निकले …… पानी कि समस्या या इसका समाधान कोई आधुनिक अवधारणा नहीं … boondon कि संस्कृति कि नब्ज़ भारतीयों के हाथ हमेशा से रही …. दुःख कि बात ये है किं नए को अपनाने कि होड़ में हमने फायेदे मन्द पुराने तरीकों को भी अलविदा कह दिया ….. भारतीय बनने बाबोबों व्यवस्था कितनी शोषक या भेदभावपूर्ण थी यह कहना मुश्किल है पर वे निश्चित रूप से नन्हे गणराज्यों कि तरह अपना जीवन चला रहे थे शासन और प्रबंधन कि विधियां भारत के हर हिस्से में अनूठी थीं …गाँव के गोथिया (प्रधान ) को अन्य अधिकारों के साथ गाँव के लिए तालाब .. कुएं .. बावड़ी खुदवाने का जिम्मा सौंपा जाता था… इन प्रणालियों को भूल कर हम जैसे जैसे पानी के मुफ्तखोर होते गए…. जल संकट गहराता गया… पानी पर सियात राष्टीय अंतर्राष्ट्रीय रूप ले रही है….इसी के साथ जलवायु परिवर्तन से भारत कि जल समस्या बदत्तर हो सकती है …ग्लेशियरों के पिघलने से सूखे और बाद दोनो में इजाफा होगा… इन समस्याओं से निपटने लिए ….. सरकार को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में सोचना और स्थानिये स्तर पर काम करना होगा …. एक मुश्त नीति पर पैसा लगाकर बाबुओं कि फ़ौज को पेट पूजा के लिए आमंत्रित करने से बेहतर है….. संगठनों और पंचायत स्तर पर इस बाँटा जाये…. इसी के साथ मीडिया सूखे की प्रलय को breaking news की तरह दिखाने के साथ ही सफल प्रयोगों को भी दिखाए तो हौंसला बुलंद रहेगा …. कुलमिलाकर आने वर्षों के लिए सूत्र यही है कि … जहाँ भी पानी कि एक बूँद गिरे वहीँ उसे थाम कर संजो लें… वरना वह दिन दूर नहीं जब महाशक्ति banane को तैयार खडे भारत कें नल बूँद बूँद आंसू बहायेंगे .....